Phool patjhad ke…

कुछ इस तरह बीते हैं पल जवानी के,
कुछ कोरे कागज़ और उनमें भर रंग आशिकी के और कुछ हसीन लम्हों के।
अब सूख गई हैं ज़िंदगी की सियाही जो, तो अलग हो गये हैं बनकर फूल पतझड़ के वो।।

~Seasons’King

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